गुज़र रही है ज़िंदगी और गुज़र रही हूँ मैं, क्या रुकना क्या रोकना चल रही हूँ मैं, शायद जी रही हूँ मैं | मंज़िलों को पाना या खोना अपनी किस्मत है, रास्तों पर चलते रहना तो अपनी ज़रूरत है || इन रास्तो को देख सोचती हूँ कही थम तो जाऊं, बस और आगे ना जाऊं यही रह जाऊं | फिर वो रास्ते बुलाते हैं - कहते हुए धीमे से, सिर्फ जिंदा रहना है या जीना भी है ? मेरे साथ ज़िन्दगी गुजारना है या बस गुज़र जाना है || रास्तों पर जब आकर देखा तो इतनी भीड़ में कहा थी मैं, सबके साथ होकर भी कहीं अकेली थी मैं | हर रास्ते में सोचती रहती हूँ, कैसे बढ़ना है, क्या सही है, क्या गलत || संकरे रास्तों पर कभी दब कर चलना है, तो कभी पीछे हट कर फिर आगे बढ़ना है | चौड़े रास्ते हों तो भी बेफिक्रे नहीं हो सकते, दुसरो को भी आगे जाने देना है कभी, फिर खुद आगे बढ़ना है || कहीं ठहरना भी है, लेकिन वो पड़ाव है मुकाम नहीं | फिर यही सोच नए रास्ते पर निकलना है, मुड़ के देखना भी है, और यादों में खोना भी है || हर रास्ते में एक नयी कहानी है, एक नयी मैं हूँ एक नए तुम हो | खुद को ढूंढना भी ह...
Every experience brings out a new in you. Which new you want to be is your choice.