अचानक आंख खुली| बाहर देखा तो, अभी अंधेरा था ; कुछ समझ नहीं पाई रात थी, या भोर का सवेरा था | बड़ी जोरो से कुछ कुत्तों के भौंकने की आवाज़ें थी ; उफ़्फ़ ये शोर, क्या इन कुत्तों को दिन और रात की तहज़ीब नहीं थी? कुछ दस मिनट चला ये तंटा, और फिर से वही समय का था सन्नाटा | मैं फिर सो गई अपने बिस्तर में; ढूंढते, अररर चादर कहां गई इस ठंड में || सुबह उठ पता चला, किसी ने एक कुत्ते पर गाड़ी चढ़ा दी | वो रो रहा था और बाकियो ने भी गुहार लगा दी || अब रास्ता हो या फुटपाथ, ये भला कोई सोने की जगह है? फ़िर गलती से कुचले जाने में गलती भी किसकी है? इंसानों को एम्बुलेंस लेने के लिए कुछ मिनटों या घंटों में तो आ ही जाती है | बाकी तड़प के मर जाते हैं, फिर एक दो दिन में नगर निगम की गाड़ी लाश उठा ले जाती है || हाँ अदालत में इंसानों के लिए मुक़द्दमा भी होता है | पर बाकी का तो बस शोर ही होता है || एक साहब ने कहा मेरे रास्ते में कुत्ते नज़र ना आएं बस; मैंने सोचा वर्क फ्रॉम होम का गहरा है असर सच | काश! मैं भी ये कह पाती, मेरे रास्ते में ट्रैफिक ना आये; ना पाला पड़े ऐसे इंसानों से जो अंदर से हो गए हैं विरक्त || फि
6 months since my girl is gone and I still dread that night. I don't know if I dread or still can't believe how 2 hours can topple your life equations. I thought it was just the usual summer heat, gave her curd, and water; took her on my lap, making her drink some more water. And suddenly she had hiccups or some shocks, and stool came out. We rushed to the hospital, and I held her. She weighed 17-20 kg. Not a lot compared to my Doberman. While taking her through the elevator, I could feel her getting heavier, and my heart sinking deeper with that weight. Just so much heaviness, and madness at that moment. I forgot my phone, Akshar picked up my sister's car key. Her husband was coming with us. While we were just leaving, she came running with her 2-year-old, saying the door got closed and Coffee (my Doberman) was inside. And all of us forgot the house keys. We left, while her husband stayed to figure out how to open the door. We were driving to Aundh Crown Hospital, and Aks